एहि पेजक माध्यमसँ अपने सभ मिथिलाक्षर सिखिकऽ अपन नाम, गाम तगाएत विभिन्न मोनक अपन अभिव्यक्ति मिथिलाक्षर (तिरहुता) लिपिमे लिख सकैत छी । ई लिपिक साभार मिथिलाक्षरमे प्रकाशित एहि शताब्दीक प्रथम पुस्तक बाँकी अछि हमर दूधक कर्जसँ कएल गेल अछि । – जय मिथिला । जय मैथिली ।।
Mithilakshar is the own script of Maithili language which is called Tirhuta or Baidehi lipi also.
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