मिथिला प्रार्थना
भगवान ! हमर ई मिथिला सुख शान्ति केर घर हो ।
आदर्श भूमि मिथिला इतिहास मे अमर हो ।।
जाहिठाम जाइ हम सब सिंहे जकाँ कहाबी ।
दुर्दान्त होइ सबठाँ केवल अहाँक डर हो ।।
जग भरि सुनी नचारी तिरहुति महेशवानी ।
सभकेर कण्ठपथमे मृदु मैथिलीक स्वर हो ।।
अत्यन्त शक्तिशाली जे द्वीप अछि तहू पर ।
एहि देश केर भाषा ओ भेषहुक असर हो ।।
सरय एतय यथोचित अभिनव कला कुशलता ।
प्रतियोगिताक रणमे ई प्रान्त अग्रसर हो ।।
अन्तिम विनय दयालु, बस आब एकटा जे ।
ई पाग विश्वभरिमे सबकेर माथ पर हो ।।
कविकर यात्री जी रचित कविताक मिथिलाक्षर (तिरहुता) सम्पादन : विनीत ठाकुर
Maithili Languages : Mithilakshar / Tirhuta
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