Maithili Kavita ... मैथिली कविता : अभ्यागत ... विनीत ठाकुर - Mithilakshar Lipi

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Monday, November 21, 2016

Maithili Kavita ... मैथिली कविता : अभ्यागत ... विनीत ठाकुर

कतेक देर सँ ठाढ़ छथि द्वार पर अभ्यागत               
भिक्षा दऽ कऽ घरनी करु हुनका स्वागत

प्रचण्ड गर्मी सँ भीत धेने भेल लहालोट छै
तन पर गुदरी ओकर देखियौ कतेक छोट छै
अपन दुःख आ पीड़ा के ओ छातीमे दवाकऽ
टहल लगावे ओ सगरो गामे गाम जाकऽ

जन्मे कि कर्म सँ कोनो कहबै पछुआएल
कपटी के जालमे ओकर जीवन छै ओझराएल
अषाढ़क रौदी जँका पयर मे फाटल बेमाय छै
समाजे नै देखतै तऽ ककरा लग ओकर दवाइ छै



विनीत ठाकुर
मिथिलेश्वर मौवाही, धनुषा


Maithili language : Mithilakshar / Tirhuta script


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