Jay Jay Bhairavi Asur Bhayauni – Viydyapati Thakur ( Kokil Kavi )
Mithilakshar is the own script of Maithili language which is called Tirhuta and Vaidehi lipi also.
जय जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनि माया ।
सहज सुमति वर दिय हे गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया ।।
बासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा ।
कतओक दैत्य मारि मुँह मेललि
कतओ उगिलि करु कूड़ा ।।
सामर वरण नयन अनुरंजित
जलद जोग फुल कोका ।
कट–कट विकट ओठ फुट पाँड़रि
लिधुर फेन उठ फोका ।।
घन–घन–घनन घुघरू कत बाजए
हन–हन कर तुअ काता ।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरू जनु माता ।।
महाकवि विद्यापति रचित गीतक मिथिलाक्षर सम्पादन : विनीत ठाकुर
Tirhuta Image / Mithilakshar Image by Binit Thakur
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