जय जय भैरवि असुर भयाउनि | Jay Jay Bhairavi Asur Bhayauni – Viydyapati Thakur (Kokil Kavi) - Mithilakshar Lipi

Home Top Ad

मिथिलाक्षर तिरहुता लिपिमे स्वागत अछि

ads

Post

Monday, September 5, 2016

जय जय भैरवि असुर भयाउनि | Jay Jay Bhairavi Asur Bhayauni – Viydyapati Thakur (Kokil Kavi)


Jay Jay Bhairavi Asur Bhayauni – Viydyapati Thakur ( Kokil Kavi )

Mithilakshar is the own script of Maithili language which is called Tirhuta and Vaidehi lipi also. 

जय जय भैरवि असुर भयाउनि
पशुपति भामिनि माया ।
सहज सुमति वर दिय हे गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया ।।

बासर रैनि सवासन शोभित
चरण चन्द्रमणि चूड़ा ।
कतओक दैत्य मारि मुँह मेललि
कतओ उगिलि करु कूड़ा ।।

सामर वरण नयन अनुरंजित
जलद जोग फुल कोका ।
कट–कट विकट ओठ फुट पाँड़रि
लिधुर फेन उठ फोका ।।

घन–घन–घनन घुघरू कत बाजए
हन–हन कर तुअ काता ।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र विसरू जनु माता ।।

महाकवि विद्यापति रचित गीतक मिथिलाक्षर सम्पादन : विनीत ठाकुर

  Tirhuta Image / Mithilakshar Image by Binit Thakur





















No comments:

Post a Comment

Featured Post

Maithili Kavita ... मैथिली कविता : अभ्यागत ... विनीत ठाकुर

Maithili Poem कतेक देर सँ ठाढ़ छथि द्वार पर अभ्यागत                भिक्षा दऽ कऽ घरनी करु हुनका स्वागत प्रचण्ड गर्मी सँ भीत धेने भेल लहालोट छ...

Post Top Ad

Binit Thakur