९.
नभ मे उर्जा
सुरुजक लाली सँ
धरती स्वर्ग ।।
नभ मे उर्जा
सुरुजक लाली सँ
धरती स्वर्ग ।।
१०.
वर्षाक वाद
इन्द्रधनुषी रुप
धन्य प्रकृति ।
वर्षाक वाद
इन्द्रधनुषी रुप
धन्य प्रकृति ।
११.
बथुवा साग
जमाइनक छौँक
स्वाद भरल ।
बथुवा साग
जमाइनक छौँक
स्वाद भरल ।
१२.
पाँखि पसारि
बहार भेल चुट्टी
चिल्ह के भोज ।
पाँखि पसारि
बहार भेल चुट्टी
चिल्ह के भोज ।
मिथिलाक्षर (तिरहुता) दुनु लिपिमे प्रकाशित कृति 'वसुन्धरा' हाइकु सङ्ग्रह सँ साभार :
No comments:
Post a Comment