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Sunday, April 10, 2022

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६५.
निर्मल भाव
वट–वृक्ष नेह सँ
स्वर्गक सुख ।

६६.
उसना धान
बिछे बगरा सब
जाड़क मास ।

६७.
शरद ऋतु
फुलायल सरिसो
पीयर खेत ।

६८.
शीत ऋतु मे
राति कऽ हुँआ–हुँआ
करे सियार ।

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