मैथिली, मिथिला, मिथिलाक लोकगीत, चैती, चैतावर वसंत बसंत, मलार, सोहर, निर्गुण, साँझ, बारहमासा, छमासा, ग्वालरी, कजरी, लगनी, पराती, रास, झूमर, महाकवि, विद्यापति, मधुबनी, दरभंगा, जनकपुर, नेपाल, मिथिला पेन्टिङ्ग, हाइकु आदिक जानकारी हेतु ई ब्लग उपलभ्य अछि ।
६५.
निर्मल भाव
वट–वृक्ष नेह सँ
स्वर्गक सुख ।
६६.
उसना धान
बिछे बगरा सब
जाड़क मास ।
६७.
शरद ऋतु
फुलायल सरिसो
पीयर खेत ।
६८.
शीत ऋतु मे
राति कऽ हुँआ–हुँआ
करे सियार ।
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