गाम–नगर में
गाम–नगर में सोरसराबा सुनल गेल बड़ बेसी ।
लोकतन्त्र में अपन अधिकार लऽकऽ रहत मधेशी ।।
जनसंख्या सँ जनसागर में जोरल छलौं हम सीधा ।
खाकऽ हमहुं लाठी गोली पारकेलौं सबटा बाधा ।।
बटवृक्षक अंकुर बनि जनमल कतेको आशा ।
लतरल चतरल मधेस मे हेतै नै कतौ निराशा ।।
जाइत पाइत में नै ओझराकऽ चुनब असली नेता ।
विकास में लिखत नव ईतिहास मधेसक बेटा ।।
हिसाब सीधा सबकिछु में छी आधा के अधिकारी ।
कानून मे जँ ई नै लिखत तँ होयत समस्या भारी ।।
मधेसक नेता चिन्हु समस्या करु नै अपना में टन्टा ।
छी जागल अधिकारक लेल सब मधेसी जनता ।।
- विनीत ठाकुर
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Binit Thakur
हम अहां क विचार स बहुत प्रभावित भेलौ । अहां क लेखन शैली बहुत सुन्दर ऐछ।
ReplyDeleteधन्यवाद।