वसुन्धरा मैथिली हाइकु संग्रह : विनीत ठाकुर
८९.
मुदुस्सा चिड़ै
दिन भरि आन्हर
साँझ मे तेज ।
९०.
बकुला ध्यान
नदी के किनार मे
हेले बुआरी ।
९१.
डोकहर के
लग मे गहुमन
उगले विष ।
९२.
चिल्हक पंजा
परल रहु पर
छुटल प्राण ।
मुदुस्सा चिड़ै
दिन भरि आन्हर
साँझ मे तेज ।
९०.
बकुला ध्यान
नदी के किनार मे
हेले बुआरी ।
९१.
डोकहर के
लग मे गहुमन
उगले विष ।
९२.
चिल्हक पंजा
परल रहु पर
छुटल प्राण ।
मैथिली कविता / Maithili Kavita / मैथिली हाइकु कविता / Maithili Haiku Kavita / Mithilakshar
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