मिथिलाक्षर, तिरहुता लिपि : मैथिली हाइकु संग्रह : वसुन्धरा
८१.
अपन रंग
बदले गिरगिट
मौसम संग ।
८२.
अँरिया खस्सी
देवीजी मन्दिर मे
चढ़ल भोग ।
८३.
वर्षा ऋतु मे
भीजल धरातल
थाल आ कादो ।
८४.
कारी बादल
बनि कऽ हिमकण
वर्षे पाथर ।
८१.
अपन रंग
बदले गिरगिट
मौसम संग ।
८२.
अँरिया खस्सी
देवीजी मन्दिर मे
चढ़ल भोग ।
८३.
वर्षा ऋतु मे
भीजल धरातल
थाल आ कादो ।
८४.
कारी बादल
बनि कऽ हिमकण
वर्षे पाथर ।
Mithilakshar / Tirhuta Lipi / Maithili Haiku Sangrah : Vasundhara
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