३३.
आन्हर साँप
मुँह मे छुछुन्नर
घोटत नहि ।
आन्हर साँप
मुँह मे छुछुन्नर
घोटत नहि ।
३४.
घोटि कऽ मृग
अजगर अचेत
पिबे बसात ।
३५.
साओन मास
कदम तर झूला
सखी उदास ।
३६.
विनु वर्षा के
खेत मे डोका सब
चुआबे लेर ।
चारिटा मैथिली भाषाक हाइकु कविता / Maithili Bhasha ke 4 taa Haiku / Mithilakshar / Tirhuta
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