जापान सँ आयातीत साहित्यक विधा हाइकुक सन्दर्भ मे
मैथिली आ नेपाली साहित्यक विविध विधा पर कलम चलाबऽ बला विनीत ठाकुरक बहुआयामिक साहित्यिक व्यक्तित्व प्रखर रुपेँ अग्रसारित भऽ रहल छन्हि । मैथिली लिपि–भाषाक प्रबर्धन आ प्रचार–प्रसार हेतु व्यग्र व्यक्तित्वक रुप मे परिचित छथिए, आब हुनक व्यक्तित्व ‘जापान सँ आयातीत साहित्य हाइकु’ स्रष्टाक रुप मे सेहो आगू बढि़ रहल छन्हि । कवि विनीतजी मैथिली–नेपाली दुनु साहित्यक बीच सेतुक रुप मे कार्य करिते छथि आ आब ओ हाइकु संग्रह ‘वसुन्धरा’क प्रकाशन कऽ जापान सँ आयातीत साहित्यक विधा ‘'हाइकु’ के माध्यम सँ पाठक लोकनिक समक्ष नव विधाक स्रष्टाक रुप मे सेहो प्रस्तुत भेलाह अछि जे खुशीक बात अछि । अपन माटि–पानि सँ जुड़ल संस्कृति, प्रकृति, वेशभूषा, खान–पान, रीति–रिवाज, खेत–खरिहान आदि के अपन कथा–कविता–गीत–निबन्ध जन्य आलेख मे विशेष स्थान देवाक कारणें नेपाल सरकारक तरफ सँ कवि विनीतजी राष्ट्रपतिद्वारा ‘जन सेवा श्री सम्मान’ सँ सम्मानित भेलाह अछि तसर्थ हुनका हार्दिक बधाई आ साधुवाद ।
मैथिली साहित्य मे कवि विनीतजी तेसर कवि छथि जे हाइकु विधा पर अपन लेखनी चलेलन्हि अछि । ‘हाइकु’ एकटा छन्दमुक्त कविता अछि । साहित्य मे सब सँ छोट कविता ‘मुक्तक’के रुप मे लिखल जाइत अछि जाहि मे छन्दक बन्धन नहि भऽ भावक गंभीरता होइत छैक । आब ताहु सँ छोट कविता ‘हाइकु’लिखल जा रहल अछि जे जापान सँ आयातीत अछि । एहि मे मात्र तीन पंक्ति मे १७ वर्णक समावेश रहैत अछि । प्रथम पंक्ति मे ५ वर्ण, दोसर मे ७ वर्ण आ तेसर मे ५ वर्ण रहैत अछि । संयुक्त वर्ण के एकेटा वर्ण मानल जाईत अछि । अर्थात्
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