आओर एकताक भाव के सुदृढ़ करबाक मार्ग मे उल्लेखनीय योगदान प्रदान कऽरहल छथि तैँ हुनका हार्दिक बधाई । नेपाली आओर मैथिली दुनु साहित्यकारक बीच मे ओ एकटा सेतुक रुप मे कार्य कऽ रहल छथि । विनीत ठाकुरजी अपन मातृभूमिक परिवेश तथा पर्यावरण के पृष्ठभूमि मे राखि कऽ एहि कृति के सृजना कएने छथि । अपन ग्राम्य वातावरणक सघन अनुभूति द्वारा अपन मातृभाषाक लालित्यक संग हाइकु के माध्यम सँ सुन्दर ढ़ंग सँ सम्प्रेषण कएने छथि ।
हाइकु लघुतम प्रकार के कविता अछि । वर्तमान मशीनी युग मे हाइकु सर्वाधिक लोकप्रिय विधा के रुप मे प्रचलित अछि । यद्यपि ई एकटा कठिन साधना अछि तथापि विनीतजी हाइकु के नियम के यथोचित पालन करैत अत्यन्त परिश्रम, लगन आ धैर्यक संग अपन सृजना के प्रस्तुत कएने छथि । प्रस्तुत हाइकु कविता सब तीन पूर्ण पंक्ति मे लिखल गेल अछि । प्रथम पंक्ति मे ५ अक्षर, दोसर पंक्ति मे ७ अक्षर आओर तेसर पंक्ति मे ५ अक्षर अर्थात् कुल १७ अक्षर के अत्यन्त संक्षिप्त कविता प्रस्तुत कएल गेल अछि । एहि मे विनीतजी हाइकु विधाक अनुशासन के पूर्ण पालन कएने छथि ।
हाइकु के प्रकृति काव्य सेहो कहल जाइत अछि । प्रस्तुत संग्रह मे प्रकृति के मनोरम चित्रण प्रस्तुत भेल अछि । प्रकृति के बाह्य आ अन्तः प्रकृति के सजीव वर्णन एतऽ भेल अछि । ऋतु सूचक शब्दक अधिकता त हाइकु के जीवन्त बना देने अछि । प्रमाण स्वरुप देखू एकटा हाइकु :–
कमला स्नान
मिथिलाक भूमि पऽ
लागय स्वर्ग ।
भाव आ कला के सम्यक समन्वय विनीतजी अपन हाइकु कविता सब मे कयने छथि । प्रेमक संग जीवनक अनुभूति सब, जीवन मे प्राप्त आशा–निराशा, हर्ष–विषाद, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक विसंगति सब सेहो एतऽ चित्रित भेल अछि । प्रकृति के शाश्वत सत्य, युगीन मूल्य–मान्यता मे परिष्कार के आवश्यकता पर बल देल गेल अछि । बास्तव मे ई हाइकु कविता समाजक लेल पथ प्रदर्शक अछि । मुहाबरा के सहज प्रयोग, भावानुकूल भाषा, संवेदनशीलता, प्रवाहमयता, अनुभूतिक सघनता, लालित्यमयता आदि गुण के कारण ई हाइकु कविता सब अत्यन्त हृदयस्पर्शी बनि पड़ल अछि ।
Pr. Dr. Usha Thakur | Maithili Haiku | Mithilakshar | Tirhuta | Basundhara Maithili Haiku Sangraha
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