एहि
मे सब शब्द सार्थक अछि जाहि मे एकटा पूर्ण बिम्ब सजीव बनल अछि । प्रतीक चयन सेहो सार्थक आ सटीक अछि । एहि मे हाइकु के अनिवार्य शर्त, कवित्व पूर्ण रुप मे कायम अछि जाहि मे छन्द विशेषक सघन अनुभूति के कलात्मक रुप मे प्रस्तुत कएल गेल अछि आ वण्र्य विषय मे विविधता अछि ।
एहि
हाइकु कविता सब मे जीवनक प्रति आशा आओर विश्वास अछि । अत्यन्त संक्षिप्त आओर सूक्ष्म भाषा मे लिखल गेल ई कृति एक दिश समाज के दर्पण अछि त दोसर दिश समाजक लेल दिशा निर्देशक सेहो अछि ।
एतऽ
एक दिश मिथिलाक लोक संस्कृति, ग्राम्य संस्कृति सजीव रुप मे वर्णित अछि त दोसर दिश दार्शनिक चिन्तन सेहो समाहित अछि ।
जल–जमीन
स्वच्छ रहला पर
धरती
स्वर्ग ।
सारांशतः एहि कृति मे लघुतम कलेवर मे गंभीर भाव आओर विचार के सशक्त अभिव्यक्ति सराहनीय अछि । वास्तव मे ई एकटा पठनीय आओर संग्रहणीय कृति अछि ।
संरचनाक दृष्टि सँ सेहो एहि मे अभिव्यक्त भाव, विचार आओर अनुभूतिक गहनता सराहनीय अछि । विनीत ठाकुरजी के हार्दिक बधाई तथा हुनक उत्तरोत्तर प्रगति के लेल हार्दिक शुभकामना ।
प्रा.डा. उषा ठाकुर
सदस्य
नेपाल प्रज्ञा–प्रतिष्ठान
कमलादी, काठमाण्डू
Pra. Dr. Usha Thakur | Sadashya | Nepal Pragya Pratisthan | Kamladi | Kathmandu | Maithili Haiku
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